बुधवार, 15 मार्च 2023

त्रिपिटक

 बौद्ध साहित्य

 बौद्ध धर्म का साहित्य मुख्य रूप से पालि  भाषा में लिखा गया और उसमें लिखे साहित्य का प्रचार श्रीलंका बर्मा चीन इत्यादि देशों में भी हुआ। सबसे प्राचीन बौद्ध ग्रंथ ग्रंथ त्रिपिटक है। यह तीन है :

सुतपिटक,विनय पिटक और अभिधम्मपिटक।

 प्रथम बौद्ध संगीति जो 483 ईसा पूर्व में राजगृह में हुई थी ,में बुद्ध की शिक्षाओं का संकलन करते हुए उन्हें विनय पिटक और सुत पिटक के रूप में विभाजित किया गया और तीसरी बौद्ध संगीति में बुद्ध  के सिद्धांतों की दार्शनिक विवेचना को संकलित करके अभिधम्मपिटक नामक तीसरे पिटक की रचना की गई। सुतपिटक का संकलन आनंद द्वारा और विनय पिटक का संकलन उपालि  द्वारा किया गया था।

 

सुत्त पिटक

यह त्रिपिटको   में सबसे बड़ा है और इसमें बुद्ध के धार्मिक विचारों और वचनों का संग्रह किया गया है। इसे बौद्ध धर्म का इनसाइक्लोपीडिया भी कहा जाता है। सुत्त पिटक  को 5 निकायों में विभाजित किया गया है : ये है 1. दीघ निकाय 2.  मज्झिम निकाय 3. संयुक्त निकाय 4. अंगुत्तर निकाय  5. खुद्दक निकाय

1. दीघ निकाय: इसके सूक्त अन्य निकायों से बड़े हैं। इस निकाय का सबसे अधिक प्रसिद्ध सूक्त  महापरिनिर्वाण सुत 'है जो महात्मा बुद्ध के जीवन के अंतिम चरण की कथा है।

2.  मज्झिम निकाय:

इसके सूक्त मध्यम आकार के हैं। इनमें  बुद्ध के उपदेश वार्तालाप रूप  में है।

3 संयुक्त निकाय :समान विषयक सूक्तो  को इसमें एक ही स्थान पर संयुक्त किया गया है।

4. अंगुत्तर निकाय  : इसके सूक्त 11 निपातों  में संगठित है।  11 निपातों में क्रमशः 1 से 11 संख्यावाली वस्तुओं का उल्लेख है। जैसे तीसरे निपात में बुद्ध  कहते हैं कि 3 वस्तुएं गुप्त रूप से कार्य करती है :नारी ,ब्राह्मण के मंत्र और मिथ्या सिद्धांत।

अंगुत्तरनिकाय से 16 महाजनपदों की जानकारी भी प्राप्त होती है।

5.खुद्दकनिकाय (खुद्दक = क्षुद्र्क = छोटा; भगवान बुद्ध द्वारा प्रवर्तित  छोटे सूत्रों का संकलन);यह लघु ग्रंथो का संग्रह है जो स्वत :स्वतंत्र और संपूर्ण है।  इसके अंतर्गत निम्नलिखित ग्रन्थ शामिल है:

a)खुद्दक पाठ

b)धम्मपद

c)उदान

d)इतिवुत्तक

e)सुत्तनिपात:   इसे धार्मिक शिक्षाओं का सबसे पुराना संग्रह माना जाता है। इसीसे पता चलता है कि बौद्ध भिक्षु गाय बैल को खेती के लिए अति आवश्यक क्यों समझते थे।

f)विमानवत्थु

g)पेतवत्थु

h)थेरगाथा: यह स्थविरो (भिक्षुओं )के गीतों का संग्रह है।

i)थेरीगाथा :यह स्थविराओ  (भिक्षुणिओं )के गीतों का संग्रह है।

j)निद्देस

k)पटिसंभिदामग्ग

l)अपदान

m)बुद्धवंस

n)चरियापिटक

o)जातक कथा : जातक कथाएं खुद्दक निकाय (सुत पिटक )का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। कुल 550 जातक कथाएं हैं जिनमें बुद्ध के 550 पूर्व जन्मों की कहानियां है। इनसे उस समय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है। जातक बताते हैं कि वणिक समुदाय का समाज में महत्वपूर्ण स्थान था और वे जल थल  दोनों मार्गो से व्यापार करते थे। जातक कथाओं से छठी सदी ईसा पूर्व से लेकर 200 ई तक की जानकारी मिलती है। कुछ जातक कथाओं का अंकन सांची और भरहूत के शिल्प  में हुआ है जिसका समय  ई पू  200 है।

 

विनयपिटक

इसमें भिक्षु -भिक्षुणियों के संघ एवं दैनिक जीवन संबंधी नियमों का संग्रह है।  उदाहरण के लिए उन्हें सोने एवं चांदी के स्पर्श की मनाही  थी।

 विनयपिटक को तीन भागों में विभक्त किया गया है

1. सुतविभंग :इसके दो उपविभाग है महाविभंग और भिक्षुणीविभंग। सुतविभंग उस पतिमोक्ख (प्रातिमोक्ष )नामक संकलन पर टीका है जिसमें अनुशासन सम्बन्धी विधि निषेधों तथा उसके भंग करने पर किए जाने वाले प्रायश्चितों  का संकलन है।

महाविभंग नामक भाष्य  भिक्षुओं के लिए बताए गए पतिमोक्ख पर टीका है जबकि भिक्षुणीविभंग भिक्षुणियों के लिए बताए गए पतिमोक्ख पर टीका है।  कुछ विद्वान पतिमोक्ख को विनयपिटक का एक अलग चौथा भाग  बताते हैं।

 

2. खंधका :इसके दो उपभाग हैं महावग्ग और चुल्लवग्ग। इनमें संघीय जीवन संबंधी विधि निषेधों का विस्तार से वर्णन किया गया है। महावग्ग में प्रमुख और अधिक महत्वपूर्ण विषयों  का समावेश है जबकि चुल्लवग्ग में गौण और अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण विषयों का समावेश है।

3. परिवारपाठ  इसमें विनयपिटक  के दूसरे भागों का सारांश प्रश्नोत्तर रूप में है।

 

अभिधम्म पिटक :

 इसमें दार्शनिक सिद्धांतों का संग्रह मिलता है।  यह प्रश्नोत्तर रूप में है। इसके अंतर्गत 7 ग्रंथ है :

1.धम्मसंगणि

2.विभंग

3.धातुकथा

4.युग्गलपंञति

5.कथावत्थु

6.यमक

7.पट्ठान

 इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण रचना कथावस्तु है जिसकी रचना तृतीय बौद्ध संगीति के अवसर पर मोगलीपुत तिस्स द्वारा की गई थी।

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