मुगलकाल में बागवानी अपने चरम पर थी। आज भारत में उपलब्ध बहुत से
फलों का आगमन 16वीं 17वीं सदी में ही हुआ था। सर्वप्रथम पुर्तगालियों ने अमेरिका
के कई फलों का यहां
उत्पादन प्रारंभ किया। इनमें सबसे महत्वपूर्ण अन्नासास था, जो शीघ्र ही संपूर्ण भारत में लोकप्रिय हो
गया था। अबुल फजल ने भी इसका उल्लेख किया है।
पपीते और काजू के
उत्पादन का प्रारंभ भी पुर्तगालियों द्वारा किया गया, किन्तु इनके उत्पादन की
प्रगति धीमी रही।
⇒ लीची और अमरूद का आगमन बाद के काल में हुआ था। अकबर के समय काबुल
से चेरी लाई गई और
कलम लगाकर इसे कश्मीर में उपजाया गया।। कलम की तकनीक से कई फलों की किस्मों में
सुधार किया गया, जिनमें आम की हापुस किस्म सबसे प्रमुख
थी। काबुल से खरबूजे और अंगूर के विभिन्न प्रकारों के बीज लाकर बोए गए।
आलू, शकरकंद और टमाटर का आगमन 17 वीं सदी और उसके बाद में हुआ था।
NOTE : अमेरिका
से आने वाली फसलों' - फलों में अन्नानास, काजू, आलू प्रमुख थे। लाल मिर्च का
आगमन भी बाहर से हुआ था(18 भी सदी में)।
दक्षिण भारत में व्यापक पैमाने पर मसालों का उत्पादन होता था। वहां
सुपारी का भी उत्पादन होता था। बिहार का मगही पान और बंगाल के पान प्रसिद्ध थे।
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